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लुधियाना के मछीवाड़ा और राहो रोड पर लगी डाइंग इंडस्ट्री रोज़ाना रिवर्स बोरकर करोड़ों लीटर जमीन में डाल रही है केमिकल युक्त पानी, गांव वालों को मिलना शुरू हो गया है स्लो प्वाइजन

चंडीगढ़ (नेशनल डेस्क- 2 अप्रैल) लुधियाना के मछीवाड़ा और राहो रोड पर लगी डाइंग इंडस्ट्री द्वारा रोजाना करोड़ों लीटर जमीन में रिवर्स बोरकर केमिकल युक्त पानी छोड़ लोगों की जान से खेला जा रहा है। लेकिन पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को रिश्वत के आगे यहां कुछ भी दिखाई नहीं देता। इतना ही नहीं, जिला प्रशासन और पंजाब सरकार को भी यह चीज दिखाई नहीं दे रही है। प्लांटेशन के नाम पर जो यह खेल खेला जा रहा है यह इतना खतरनाक हो चुका है कि आसपास के रहने वाले लोगों के लिए स्लो प्वाइजन के रूप में काम करना शुरू हो गया है। आसपास के गावों का 100 से 150 फुट पर ही पानी रंगदार आना शुरू हो गया है। इसके अलावा जो गांव के लोगों द्वारा खेती-बाड़ी कर सब्जियां पैदा की जा रही हैं, उसमें भी यह केमिकल वाला पानी जमा होकर उनकी फसल बर्बाद कर रहा है। गांव वालों ने इसका कई बार विरोध किया है लेकिन पैसे के दम पर यह लोग उन्हें चुप करवा देते हैं। सूत्रों से पता चला कि इन क्षेत्रों में लगी डाइंग इंडस्ट्री वालों ने पानी इस्तेमाल करने की परमिशन कम ले रखी है और जमीनी पानी को 4 से 5 गुना ज्यादा इस्तेमाल कर उसे बिना ट्रीट किये फिर दोबारा जमीन में रिवर्स बोरकर छोड़ा जा रहा है। यह सिर्फ पैसा कमाने के चक्कर में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसे देखने के लिए पंजाब सरकार और ना ही पंजाब के गवर्नर जो हर माह यहां आकर पानी की हालत देखने का दावा कर रहे हैं उन्हें यह चीज दिखाई दे रही है। देश के उच्चतम न्यायालय ने जो पर्यावरण के संबंध में कार्रवाई करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बना रखा है उसको भी यह दिखाई नहीं दे रहा। अपने बचाव में इन लोगों ने अपनी डाइंग इंडस्ट्री के आसपास एकड़ में जगह खरीद रखी है और वहां पर नाम के ही सिर्फ पौधे लगाकर यह दर्शा दिया है कि वह प्लांटेशन के लिए पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि उन पौधों को देखा जाए तो उनकी हालत इतनी सूख चुकी है कि शायद देखने पर ही पता चल जाएगा कि सदियों से उन्हें पानी दिया ही नहीं गया। दूसरा यह सवाल है कि जो भी पौधे वहां पर लगाए गए हैं उन्हें रोजाना लाखों लीटर पानी की जरूरत नहीं है। अगर ऐसे पौधों को पानी की रोजाना जरूरत नहीं तो यह पानी फैका कहां आ रहा है तो यह स्पष्ट हो जायगा कि उसे जमीन में ही बिना ट्रीट किये डाला जा रहा है। अगर इसकी जांच सीबीआई जैसी उच्च एजेंसी से करवा दी जाए तो सारा खेल खुलकर सामने आ जाएगा।

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