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पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अफसरों को सीईटीपी वालो से मिल रहा हैं महीना , इसलिए छुपा रहे हैं डाटा

सीईटीपी की नोडल एजेंसी, डाटा एक भी मौजूद नही

चंडीगढ़,20 अक्टूबर (नेशनल डेस्क ) पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने लुधियाना में लगाए गए तीनों कॉमन एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट की नोडल एजेंसी के तौर पर जिम्मेदारी दी थी, ताकि प्लांट सही तरीके से बन सके और जो पैसा सब्सिडी के रूप में इन प्लांट को दिया जाएगा उसका सही से इस्तेमाल हो सके। लेकिन जिम्मेदाराना बोर्ड के पास फोकल प्वाइंट में लगे 40 एमएलडी के सीईटीपी प्लांट की कोई भी जानकारी मौजूद नहीं है। आरटीआई के जरिए कुछ सवाल पूछे गए कि रोज़ाना कितनी मात्रा में पानी इंडस्ट्री से इस प्लांट पर आता है और कितनी ही मात्रा में वह ट्रीट करके पानी बाहर बुड्ढे नाले में छोड़ा जाता है। इसके अलावा पूछा गया कि रोजाना कितनी स्लज निकलती है और रोज़ाना कितने बिजली के यूनिट की कंजप्शन होती है। हर महीने जो पानी के सैंपल लेकर उसकी टेस्टिंग की जाती है उनकी रिपोर्ट की भी जानकारी दी जाए। इन सब सवालों का जवाब एक ही लाइन में लिखकर भेज दिया कि इनका डाटा ऑफिस में मौजूद नहीं है। यानी कि उनके इस उत्तर ने पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। जिस नोडल एजेंसी के जरिए करोड़ों रुपए की सब्सिडी मिनिस्ट्री ने दी है। उसमें कितना घालमेल होगा वह भी इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिसके पास छोटे-छोटे आंकड़े नहीं है वह उन पैसों का हिसाब कहां से देगा जो करोड़ों में खर्च हुआ है। बोर्ड के अफसरों की वजह से ही आज बुड्ढा नाला बुरी तरह प्रदूषण के कारण तहस-नहस हो चुका है। लोगों में गंभीर बीमारियां फैल रही है। लेकिन बोर्ड के अफसर अपने एयर कंडीशन दफ्तर से बाहर निकल कर कोई काम करने को राजी नहीं है। इसके पीछे भी एक खास वजह है क्योंकि उन्हें दफ्तर में बैठे ही महीना पहुंच रहा है? आरटीआई से जवाब न मिलने का जब कारण जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि 40 एमएलडी का प्लांट या तो चलता नहीं है अगर चलता है तो वह अंडर कैपेसिटी चलता है क्योंकि वहां पर 22 से लेकर 27 ऍमअलडी तक पानी ही पहुंचता है और बाकी का पानी कहां जा रहा है इसके बारे में ना तो बोर्ड के पास कोई जवाब है और ना ही सीईटीपी चलाने वालों के पास कोई जवाब है। एनजीटी में भी यही डाटा पेश किया गया हैं। ऐसे अफसरों की वजह से ही पंजाब सरकार पूरी तरह कामचोर वाली सूची में शामिल हो चुकी है।

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