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पंजाब में प्रदूषित पानी फैला रहा जानलेवा बीमारियाँ, किसानों द्वारा मोर्चे की तैयारी

लुधियाना 31 जनवरी : पंजाब में प्रदुषित हो रहे धरती निचले पानी व हवा की समस्या के गम्भीर मुद्दे को उठाते हुए आज भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने एकत्रित हुए किसानों के साथ मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि पंजाब के लिए पानी का मुद्दा एक गंभीर मुद्दा है जिसके लिए किसान लगातार चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में पानी खत्म होने की कगार पर है और पंजाब सरकार ने किसानों के खेतों तक नहरी पानी पहुंचाने का वादा किया है अगर किसानों तक पानी नहीं पहुंचेगा तो किसान जीवित नहीं रह सकता। इस मौके पर बोलते हुए किसान नेताओं ने कहा कि फैक्ट्रियां लगातार नीचे से पानी निकाल रही हैं और गंदा पानी जमीन में डाला जा रहा है.

राजेवाल ने कहा कि इस बार धान की फसल बारिश के पानी से उगाई गई है और गेहूं की फसल को केवल दो बार पानी की जरूरत होती है. किसानों को सिर्फ बदनाम किया जा रहा है जबकि भूजल के लिए उद्योग जिम्मेदार है। किसान नेताओं ने कहा कि पानी की लड़ाई लगातार लड़ी जा रही है और मरते दम तक लड़ते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर सरकार खेतों तक नहरी पानी पहुंचा दे तो पंजाब का पानी कभी खत्म नहीं होगा लेकिन, अगर पंजाब की नहर का पानी दूसरे राज्यों को दिया जाएगा और पंजाब बाढ़ में डूब जाएगा तो पंजाब को कोई नहीं बचा सकता।

किसान लाएंगे मोर्चा भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि पंजाब के लिए पानी का मुद्दा एक गंभीर मुद्दा है जिसके लिए किसान लगातार चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 18 तारीख को एक विशेष बैठक बुलाई गई है जिसके बाद किसान स्थायी मोर्चा (फार्मर प्रोटिस्ट) बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि पराली के मुद्दे पर किसानों को गुमराह किया जा रहा है, पराली प्रदूषण कुल प्रदूषण का केवल 7 प्रतिशत है, बाकी 93 प्रतिशत फैक्ट्रियों से होने वाला प्रदूषण है।
उन्होंने कहा कि ब्लैक बाइल में भी पंजाब पहले नंबर पर आ गया है। राजेवाल ने बोलते हुए कहा कि संसद में भी केन्द्र सरकार ने माना कि पंजाब पर पानी का गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि 100 फीट से नीचे का पानी न तो पीने योग्य है और न ही फसलों के लिए उपयोगी है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री धरती में गंदा पानी डाल रही है, जिसके बारे में सरकार को कुछ करना होगा अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो मोर्चे की तारीख की घोषणा की जाएगी।

क्या कहते हैं आंकड़े :
आईसीएमआर, इंडियन कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, भारत सरकार द्वारा जारी किए गए 2022 तक के आंकड़ों की बात करें तो 2020 में भारत में कैंसर से 7.70 लाख मौतें हुई हैं जबकि साल 2021 में 7.89 लाख मौतें कैंसर की वजह से हुईं। इसी तरह साल 2022 में देश में 8.08 लाख कैंसर मरीजों की मौत हुई है. पंजाब भी इसमें पीछे नहीं है. 2021 में पंजाब में कैंसर से मरने वालों की संख्या 22 हजार, 786 थी, जबकि 2022 में यह संख्या 23 हजार, 301 तक पहुंच गई। ऐसे में काला पीलिया के हालात भी खराब हैं। खासकर प्रदूषित पानी के कारण लोग काला पीलिया का शिकार हो रहे हैं।

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