चीफ इंजीनियर के पद से रिटायर किए बिना ही, मेंबर सेक्रेटरी के पद के लिए फिर से एक बार दे दी एक्सटेंशन
– दोनों पदों के बेनिफिट का मजा ले रहे हैं जी.एस. मजीठिया
चंडीगढ़ (नेशनल डेस्क) आजकल पंजाब सरकार पूरी तरह पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मौजूदा मेंबर सेक्रेटरी जी.एस. मजीठिया पर पूरी तरह मेहरबान है। उन्हें फिर से 1 साल के लिए एक्सटेंशन दे दी गई है। जबकि मजेदार बात है कि उन्हें अपने पिछले पद चीफ इंजीनियर से आज तक रिटायर नहीं किया गया और दूसरी बार उन्हें 1 साल के लिए एक्सटेंशन दे दी गई है इस एक्सटेंशन को लेकर विभाग में काफी खलबली मच गई है, क्योंकि मजीठिया एक जूनियर मोस्ट अधिकारी हैं और उन्हें एक उच्च पद पर दूसरी बार सरकार ने एक्सटेंशन दे दी है। सरकार ने सारे नियमों को ताक पर रखकर मजीठिया पर खास मेहरबानी दर्शाई है। इस एक्सटेंशन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर मजीठिया ने ऐसे कौन से काम किए हैं कि सरकार उन पर पूरी तरह मेहरबान है? सूत्रों से पता चला है कि उन्हें दोबारा एक्सटेंशन दिलवाने में एक मंत्री का आशीर्वाद है। मजीठिया ने अपने पिछले मेंबर सेक्रेटरी के ही कार्यकाल में मंत्री के रिश्तेदार को मोरिंडा के नजदीक एक कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने में पूरी तरह मदद की थी सारे नियम कानून को ताक पर रखकर उसे 24 घंटे में चालू करवा दिया था। सारी कंसेंट भी एक ही दिन में जारी कर दी गई थी जबकि किसी आम उद्योगपति को प्रदूषण बोर्ड से कंसेंट लेनी हो तो यह अधिकारी 2 से 3 महीने का समय लगाते हैं। सूत्र बताते हैं कि मजीठिया ने अपने पिछले मेंबर सेक्रेटरी के कार्यकाल में कई फैक्ट्रियों को ताले लगाए है। मोहाली से वेस्ट उठाने वाली कंपनी ने इन पर करोड़ों रुपए का दावा ठोका है। इसी तरह लुधियाना की एक डाइंग इंडस्ट्री को भी इन्होंने 3 महीने से बंद कर रखा है वह भी अब मजीठिया के खिलाफ हाई कोर्ट में जाने को तैयार है। इसी तरह पंजाब में प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और ऐसे अधिकारियों को सरकार पदोन्नति देकर उन्हें सम्मान दे रही है। इस पदोन्नति ने पंजाब सरकार पर सवालिया निशान लगा दिया है। अपने को ईमानदार सरकार कहलाने वाली आप सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। क्यों सीनियर मोस्ट अफसरों को हटाकर जूनियर मोस्ट अफसर को दोबारा से एक्सटेंशन दी गई है। उन्होंने पंजाब को प्रदूषण मुक्त करने में ऐसे कौन से काम किए हैं जिसकी वजह से पंजाब सरकार को उन्हें एक्सटेंशन देने के लिए मजबूर होना पड़ा? जो शख्स दो पदों का लुत्फ़ उठाते हुए उसके सारे बेनिफिट का मजा ले रहा है उससे क्या उम्मीद की जा सकती है कि वह भ्रष्टाचार में संलिप्त नहीं होगा? जो व्यक्ति मंत्री के कहने पर और उनके इशारे पर काम कर रहा है वह पंजाब को भी कैसे प्रदूषण मुक्त करेगा?