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डाइंग इंडस्ट्री ही कर रही है प्रदूषित बुड्ढा नाला, पीपीसीबी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

चार दिन डाइंग इंडस्ट्री नहीं चली तभी नीचे आये पैरेमीटर
– नहीं मिला इलेक्ट्रोप्लाटिंग इंडस्ट्री का कोई हेवी मेटल्स
चंडीगढ़,1 सितंबर (नेशनल डेस्क ) पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने एक रिपोर्ट जारी कर घोषित कर दिया है कि डाइंग इंडस्ट्री की वजह से ही बूढ़ा नाला प्रदूषित हो रहा है। यहां बता दे की बीती 6 सितंबर से 9 सितंबर तक 4 दिन के लिए डाइंग इंडस्ट्री को बंद करने के फैसले के बाद जो पानी के सैंपल लिए गए थे उनकी रिपोर्ट आज पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने जारी कर दी है।
रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि इन चार दिनों में ना तो कोई डाइंग इंडस्ट्री का कलर युक्त पानी यहां आया और ना ही कोई इलेक्ट्रोप्लाटिंग इंडस्ट्री का पानी इस तरफ आया। जिसकी वजह से रिपोर्ट से यह साबित होता है कि डाइंग इंडस्ट्री ही बुड्ढे नाले को प्रदूषित कर रही है। क्योंकि इलेक्ट्रोप्लाटिंग इंडस्ट्री के हेवी मेटल कहीं भी जिक्र नहीं आया है। पीपीसीबी द्वारा लिए गए सैंपलों से यह साबित हो गया है कि इलेक्ट्रोप्लाटिंग इंडस्ट्री अपना पानी पूरी तरह ट्रीट कर रही है और बुढ़े नाले को प्रदूषित करने में डाइंग इंडस्ट्री का ही पानी आ रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी साबित कर दिया है कि शहर में जो अनोर्गनाइज्ड इंडस्ट्री लगी है जो पीपीसीबी के पास रजिस्टर्ड नहीं है उनका पानी भी बुढ़े नाले में नहीं छोड़ा जा रहा है। पीपीसीबी ने 6 सितंबर और 9 सितंबर को दो बार पानी के 13 अलग-अलग प्वाइंटों से सैंपल लिए। जिसमें खासी कलां पुली, अपस्ट्रीम सीईटीपी आउटलेट एट ताजपुर रोड, बालाजी पुली, महावीर जैन पुली, जालंधर बाईपास जीटी रोड, कृपाल नगर पुली, सुंदर नगर पुली,चांद सिनेमा पुली, कुंदन नगर पुली, बरनहर पुली, वलीपुर पुली, उपकर नगर पुली प्रमुख है। इन सभी प्वाइंटों मैं से कुछ पर 6 सितंबर को बी.ओ.डी लेवेल 100 से ऊपर जरूर पाया गया, लेकिन जैसे ही दिन बीते गए और 9 सितंबर को कोई भी बी. ओ.डी का लेवल 90 से ऊपर नहीं गया। इसी तरह टीडीएस भी काफी कंट्रोल में दिखाई दिया। जालंधर बाईपास में टीडीएस 1244, सुंदर नगर पुली में 1086, चाँद सिनेमा पुली में 1128, बालोके पुली पर 1532 टीडीएस जरूर 6 सितंबर को दिखाई दिए । लेकिन 9 सितम्बर को यह टीडीएस कम होकर बाद में 620 से लेकर 976 के बीच में आ गया। पीपीसीबी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक इसमें आयरन, जिंक जरूर मिले। लेकिन यह भी पैरामीटर के दायरे में रहे। इसके अलावा सल्फाइड, निकल, क्रोमियम, हेक्साक्रोम, लेड, कॉपर, जैसे हेवी मेटल नहीं मिले दिखाई दिए गए हैं। लेकिन कुछ जगह पर मैग्नीशियम जैसे जरूर दिखाई दिए।इस रिपोर्ट में यह साबित कर दिया है कि ताजपुर रोड, बहादुर के रोड और फोकल प्वाइंट के सीईटीपी बिना ट्रीट किए रंगदार पानी को बुढ़े नाले में छोड़ रहे हैं।
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