चंडीगढ़ 1 अप्रैल (नेशनल डेस्क) लुधियाना के बुड्ढे नाले से जहां राजनीतिज्ञ और अफसर जमकर रुपया कमा रहे हैं। वहीं पर अब अपने आप को पर्यावरण के संरक्षक कहने वाले सीचेवाल भी राजनीति चमकाने में पीछे नहीं है। बुड्ढे नाले की सफाई को लेकर लुधियाना से नितिन धीमान ने डाइंग इंडस्ट्री द्वारा छोड़े जा रहे जहरीले पानी के विरुद्ध पंजाब सरकार और उसके संबंधित विभागों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में केस कर रखा है। केस नंबर 225/2022 है। अपने आप को पर्यावरण के संरक्षक कहने वाले सीचेवाल क्रेडिट लेने के चक्कर में अपना बोरी बिस्तर उठाकर लुधियाना आ गए। उन्होंने जबरदस्ती शहर के बीचों बीच गऊघाट के नजदीक 100 मिलियन लीटर डेली पानी को स्टोर करने के लिए एक कुआं खोद डाला। इस पानी को सरकार के 225 एमएलडी के सीईटीपी प्लांट पर लेकर जाना था जबकि वहां पर इसकी कैपेसिटी पहले से ही ओवरलोडेड थी। नतीजा यह हुआ कि सीचेवाल ने क्रेडिट लेने के चक्कर में 100 एमएलडी अनट्रीटेड पानी को साफ हो रहे 225 एमएलडी के पानी में मिलाकर उसे भी अनट्रीटेड यानी की गंदा कर दिया। अब शहर का पानी 325 एमएलडी गंदा होकर बुड्ढे नाले के जरिए सतलुज में बह रहा है। इस संबंध में विधानसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह भाजपा ने सवाल खड़ा किया कि क्या सीचेवाल इंजीनियर है जिन्होंने लुधियाना जाकर बिना किसी परमिशन के कुआं खोदकर खुद ही सफाई करनी शुरू कर दी। लोगों ने भी यही सवाल करना शुरू कर दिया है कि अगर सीचेवाल सही मायने में पर्यावरण के संरक्षक है तो वह क्रेडिट लेने की बजाय अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री से कहकर अफसरों से काम करवाते। हमे क्यों गंदा पानी पीलाकार गंभीर बीमारिया देने आए है। 225 एमएलडी के पानी को गंदे करने की जिम्मेवारी अब क्या सीचेवाल लेंगे? क्या केंद्र व राज्य सरकार साफ हो रहे 225 एमएलडी पानी में अनट्रीटेड पानी को मिलकर खराब करने का दोषी मानते हुए सीचेवाल पर कार्रवाई करेगी? इसके उलट अपनी मेहनत कर रोजी-रोटी कमाने वाले डेरी मालिकों पर बुड्ढे नाले में गोबर फेक उसे प्रदूषित करने का दोष लगाकर कर उन पर पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया।